(Digital Arrest) डिजिटल अरेस्ट क्या है?
यह एक ऑनलाइन ठगी / साइबर क्राइम है, जिसमें अपराधी (फ्रॉड करने वाले लोग) खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी (Enforcement Directorate) या किसी सरकारी एजेंसी का अफसर बताकर लोगों को डराते हैं।
कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट?
1. फर्जी कॉल या वीडियो कॉल – ठग आपको फ़ोन या व्हाट्सऐप वीडियो कॉल करेंगे और कहेंगे कि आपके खिलाफ कोई अपराध (जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स केस, या पार्सल में अवैध सामान) का मामला दर्ज है।
2. धमकाना – वे कहेंगे कि आपको तुरंत “डिजिटल अरेस्ट” किया जा रहा है, यानी आप घर पर रहते हुए भी कैमरे के सामने 24 घंटे रहना होगा।
3. पैसे ऐंठना – डराकर आपसे बैंक डिटेल्स, OTP, या ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे निकलवा लेते हैं।
4. परिवार से छुपाने का दबाव – वे बोलते हैं कि इस बारे में परिवार या दोस्तों को मत बताना, वरना आपको जेल भेज दिया जाएगा।

सच्चाई क्या है?
कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई चीज़ नहीं होती। पुलिस/सीबीआई कभी फोन या वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ्तार नहीं करती।यह सिर्फ लोगों को डराकर पैसे लूटने का नया तरीका है।
कैसे बचें?
अगर ऐसा कॉल आए तो तुरंत काट दें।
अपनी बैंक डिटेल्स, OTP, पासवर्ड कभी शेयर न करें।
किसी लिंक पर क्लिक न करें।
तुरंत शिकायत करें –
1930 (Cyber Crime Helpline) पर
अब “Real Arrest” यानी असली गिरफ्तारी के बारे में सरल भाषा में बताता हूँ:
Arrest kya hai
परिचय (Introduction)
कानून का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है अपराध की जांच और आरोपी को न्यायालय तक लाना। इसी प्रक्रिया का पहला कदम है Arrest (गिरफ्तारी)। अक्सर लोग FIR और Bail के बारे में सुनते हैं, लेकिन arrest का असली मतलब, तरीका, और arrest के समय आरोपी के अधिकार क्या होते हैं – यह ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता।

Arrest की परिभाषा (Definition of Arrest)
कानूनी रूप से arrest का अर्थ है – “किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom) को कानून के अंतर्गत सीमित करना, ताकि उस पर अपराध की जांच या मुकदमा चलाया जा सके।”
आसान भाषा में: जब पुलिस या कोर्ट किसी व्यक्ति को पकड़कर उसकी movement को रोक देती है और उसे बाहर जाने की आज़ादी नहीं रहती, तो उसे arrest कहते हैं।
Arrest का उद्देश्य (Purpose of Arrest)
Arrest का मकसद सिर्फ आरोपी को जेल भेजना नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई कानूनी उद्देश्य होते हैं:
1. अपराधी को न्यायालय के सामने पेश करना।
2. अपराध की जांच को सुरक्षित रखना।
3. आरोपी को भागने से रोकना।
4. सबूतों से छेड़छाड़ रोकना।
5. गवाहों पर दबाव डालने से रोकना।
6. समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखना।
Arrest कब किया जा सकता है? (When Can Arrest Be Made)
1. Warrant से Arrest : जब न्यायालय किसी आरोपी को पकड़ने का आदेश देता है। ज़्यादातर non-cognizable offences (जहाँ पुलिस सीधे action नहीं ले सकती) में होता है।
2. बिना Warrant Arrest (Arrest Without Warrant): पुलिस किसी व्यक्ति को सीधे गिरफ्तार कर सकती है अगर:उस पर cognizable offence का आरोप है।उसके पास हथियार या अवैध सामान मिला है।वो आरोपी अपराध करने की तैयारी में पकड़ा गया हो।
3. Private Person द्वारा Arrest: CrPC (अब BNSS 2023) की धारा के अनुसार कोई भी सामान्य व्यक्ति किसी अपराधी को पकड़कर पुलिस को सौंप सकता है, अगर वो व्यक्ति गंभीर अपराध कर रहा हो।
Arrest करने की प्रक्रिया (Procedure of Arrest)
1. पुलिस पहचान बताएगी – Arrest करने वाला अधिकारी अपनी पहचान बताएगा।
2. Arrest का कारण बताना अनिवार्य है – आरोपी को बताना होगा कि उसे किस अपराध में पकड़ा जा रहा है।
3. महिला की arrest – केवल महिला पुलिस अधिकारी ही महिला को arrest कर सकती है।
4. रात के समय arrest – महिलाओं की arrest रात के समय सामान्यत: नहीं की जाती (except in exceptional cases)।
5. 24 घंटे में पेश करना – Arrest के बाद आरोपी को 24 घंटे के अंदर Magistrate के सामने पेश करना जरूरी है।
6. Arrest memo बनाना – हर arrest के समय एक written memo बनाना होगा जिसमें arrest का कारण और गवाह के signature होंगे।
Arrest के दौरान आरोपी के fundamental rights और legal rights सुरक्षित रहते हैं।
Arrest के समय आरोपी के अधिकार (Rights of Arrested Person)
1. Arrest का कारण जानने का अधिकार (Article 22)।
2. वकील से मिलने का अधिकार (Right to legal aid)।
3. चुप रहने का अधिकार (Right to silence – self-incrimination से बचने के लिए)।
4. मेडिकल जांच का अधिकार – अगर ज़रूरी हो तो आरोपी अपनी जांच करवा सकता है।
5. परिवार या मित्र को सूचित करने का अधिकार – arrest की जानकारी उनके परिजन को देना जरूरी है।
6. 24 घंटे में Magistrate के सामने पेश होना – देर नहीं की जा सकती।
👉 Supreme Court ने DK Basu vs State of West Bengal (1997) केस में arrest के दौरान कई गाइडलाइंस दी थीं, जिन्हें पुलिस को पालन करना जरूरी है।
Important Case Laws on Arrest
1. Joginder Kumar vs State of U.P. (1994) – Police arbitrary arrest नहीं कर सकती।
2. DK Basu vs State of West Bengal (1997) – Arrest के समय accused के अधिकार बताए गए।
3. Arnesh Kumar vs State of Bihar (2014) – 498A जैसे मामलों में बिना जांच किए arrest नहीं किया जा सकता।
Arrest के बाद प्रक्रिया (After Arrest Procedure)
1. Police remand ya judicial custody के लिए application।
2. Accused ka statement record karna।
3. Investigation complete hone par charge sheet file करना।
4. Court me trial start hona।
Arrest और Bail का संबंध
Arrest के बाद आरोपी को bail का अधिकार हो सकता है (अगर offence bailable hai)।
Non-bailable offences में भी Court से bail का option रहता है।
Isliye Arrest aur Bail ek doosre se directly जुड़े हुए procedure hain
निष्कर्ष (Conclusion)
Arrest कानून का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपराधियों को पकड़ने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। लेकिन arrest का मतलब यह नहीं कि आरोपी दोषी है। Arrest केवल एक कानूनी प्रक्रिया है ताकि आरोपी को न्यायालय के सामने लाया जा सके। Arrest करते समय पुलिस को कानून के नियमों और आरोपी के मौलिक अधिकारों का पालन करना अनिवार्य है।